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आगामी विधानसभा चुनावों में जनता अपने नुमाइंदे चुनेगी या पीएम मोदी और भूपेन्द्र हुड्डा के : सैनी

 

सत्य ख़बर,गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज: 

लोकतांत्रिक देश भारत के अधिकांश जनप्रतिनिधियों को ज्ञात ही नहीं कि प्रजातंत्र के मायने  जो निहित संविधान में डॉ,बीआर अंबेडकर ने लिखा है कि लोगों का, लोगों द्वारा, लोगों के लिए” ही प्रजातंत्र है और इसमें आम लोगों को ही सबसे बड़ी ताकत बताया है,  लेकिन यहाँ स्थिति क्या है, वर्तमान समय में भारतीय राजनीति का परिपेक्ष बदल गया है  उसकी झलक हरियाणा में भी खूब देखने को मिल रही हैं,  यहां हरियाणा में जो उम्मीदवार मोदी के नाम पर चुनाव लड़ रहा होता है, उन्हीं के नाम पर वोट मांगता है और जैसा कि पिछले समय में देखा गया है  कि  वह जीत उपरांत भी मोदी के प्रति ही जवाबदेह होता है जो आदेश मिलते हैं,उनके उतर सोच भी नहीं पाता है !  कमोवेश यही हाल हरियाणा कांग्रेस के भी नजर आ रहे हैं, यहां भी जो उम्मीदवार चुनावों में खड़ा है वह पूर्व सीएम भूपेन्द्र हुड्डा के गीत गाकर ही खड़ा है और जीतने उपरांत वह भी हुड्डा के आदेशों का ही अनुशरण करता है  भले जनता में उसका अस्तित्व ही क्यों न मिट जाए, हालांकि नरेंद्र मोदी के सामने भूपेन्द्र हुड्डा का कद नहीं है, इसीलिए हुड्डा के अधिकांश सहयोगियों का जनाधार समाप्त हो चुका है  और मोदी साथ वालों से भी जनता ने दूरी बना रही है, और यदि लोकतंत्र का तमाशा देखना है तो इनदिनों हरियाणा में खूब देखने को मिल रहा है, चुनाव सर पर हैं और ऐसे समय जनता स्वम् राजा होती है  मगर हैरत की बात देखिए कि ऐसे समय में भी कोई भी राजनीतिक दल उसकी सुन नहीं रहा है, एक दूसरे की बुराई करने के सिवाय कोई काम वो कर नहीं रहे , बल्कि लोगों को गुमराह करने वास्ते नए-नए सहारे ले रहे हैं – सत्ताधारी दल को ही देख लीजिए, बजट है भी कि नहीं है ज्ञात नहीं  मगर घोषणा पर घोषणाएं किए जा रहे हैं, एक माह शेष रह गया है  उसके बाद चुनाव आचार संहिता लागू हो जाएगी, नहीं लगता कि दस प्रतिशत भी काम हो पाएंगे  और यह सबको दिखाई दे रहा है, यहाँ प्रश्न यह उठता है बड़ा स्वप्न देखने वालों से  क्या हरियाणा की जनता बहकावे में आती रहेगी ?

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माईकल सैनी ने कहा कि अनेकों जगह पंचायतें हुई  जहाँ पंचायती उम्मीदवारों के पक्ष के बातें कही गई हैं, अनेकों लोग चुनाव लड़ना चाहते हैं मगर पार्टी की टिकेट तो किसी एक को ही मिलती है  तो इस तरह के असंतुष्ट नेता लोगों के बीच पहुंचते हैं,  तो बड़ा सवाल यह उठता है कि जनता मोदी के उम्मीदवार जिताएगी या हुड्डा के उम्मीदवार जिताएगी  या फिर जनता अपने पंचायती उम्मीदवार को जिताएँगी।

सैनी ने कहा कि जनता सिर-मोर होती है  तथा चुने हुए नुमाइंदे को उसके बीच होना होता है  लेकिन त्रासदी देखिए कि जनता को मिलने का समय सप्ताह में दो दिन – दो घँटे देने को भी एक इवेंट बना दिया जाता है, अखबारों की सुर्खियां बटोरी जाती हैं, इससे बड़ा लोकतंत्र का मजाक और क्या होगा।

मुख्यमंत्री जनसंवाद को बड़ी उपलब्धि बताते हैं,  परन्तु उन्हें स्मरण रखना चाहिए कि मुख्यमंत्री होता ही जनता से संवाद कर उनके अनुकूल योजनाएं बना कार्य करने के लिए   लेकिन उसमें भी अपने ही मन की बात कहते रहे, देशवासियों से ही देश बनता है और उसे भारत माता कहकर पुकारते हैं सभी , वो दीगर बात है कि जिस मॉ की कोख से जन्म लिया, जिसका दूध पीकर संसद पहुंचे, मुख्यमंत्री बने उस मा की याद भी भाजपाईयों को तब आयी जब  मोदीजी को मॉ की याद आयी , इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है।

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